1. IP Address In Hindi ( इंटरनेट प्रोटोकाल एड्रेस )

ip address का full from internet protocol होता है इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर या उपकरण को उसकी पहचान के लिए एक विशेष numerical address दिया जाता है जिसे IP Address कहा जाता है । यह अंकीय पता (numerical address ) इंटरनेट से जुड़ने पर Internet Service Provider द्वारा दिया जाता है । पुरे World  में इंटरनेट से जुड़े किसी दो कम्प्यूटर का IP Address किसी एक Network में एक समान नहीं हो सकता । IP Address इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर को एक विशेष पहचान प्रदान करता है ।
इसमें कंप्यूटर या उपकरण द्वारा प्रयुक्त प्रोटोकाल का नाम तथा नेटवर्क पर उसकी स्थिति ( location ) शामिल रहता है । इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर ( ISP ) यदि किसी कंप्यूटर को स्थायी IP Address प्रदान करता है तो उसे Static IP Address कहते हैं । यदि किसी कंप्यूटर के इंटरनेट से जुड़ने पर हर बार नया IP Address दिया जाता है तो उसे Dynamic IP Address कहा जाता है।
IP Address Versions (संस्करण) in Hindi
IP address के 2 version होते है :- 

1. IPV4
Internet Protocol Version 4 ( IPV4 ) का प्रयोग IP address के लिए अभी तक किया जा रहा है ।
इसमें एड्रेस के लिए 32 बिट नंबर का प्रयोग किया जाता है । IPv4 में 0 से 255 तक के अंको का चार समूह ( set ) होता है जिसे चार डॉट ( . ) द्वारा अलग किया जाता है । जैसे – 192.1.1.1 इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के बढ़ती संख्या के कारण 32 बिट एड्रेस कम पड़ने लगा जिसके करण IPV6 आया

2. IPV6
Internet Protocol Version 6 ( IPV6  ) का विकास किया गया जिसमें Address के लिए 128 बिट नंबर का प्रयोग होता है । IPv6 में चार हेक्साडेसीमल अंकों का आठ समूह होता है जिसे colons ( : ) द्वारा अलग किया जाता है । जैसे 2001 : 1276 : 0a8c : 1234 : 0000 : 0001 : 0576 : 008b

Types of IP Address in Hindi (IP एड्रेस के प्रकार) 
IP Address के दो प्रकार होते हैं.

1. Private IP Address
2. Public IP Address
1. Private IP Address In Hindi
जब मोबाइल, कंप्यूटर आदि एक से अधिक डिवाइस किसी केबल या वायरलेस रूप में कनेक्ट होते हैं, तो यह प्राइवेट IP एड्रेस का निर्माण करते हैं. इसमें कनेक्ट किये गए सभी डिवाइस के IP को प्राइवेट एड्रेस कहा जाता है |

2. Public IP Address In Hindi
पब्लिक IP Address दो types के हो सकते हैं, पहला Static IP Address, जिसे ISP (Internet Service Provider) द्वारा किसी Server को Access करने के लिए खरीदा  जाता है. Public IP Address इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ISP (Internet Service Provider)  द्वारा दिया जाता है , जिसे हम बदल नही सकते हैं. तथा यह Address सबसे अलग होता है. जैसे, एक Website, DNS Server आदि | दूसरी ओर Dynamic IP Address Internet Connection पर आधारित (depend) होता है तथा यह कंप्यूटर के Internet से Connect होने पर  अपने आप  बदल जाता है |

क्या आप जानते हैं ? मॉडेम की सहायता से जब किसी कम्प्यूटर या अन्य उपकरण को इंटरनेट से जोड़ा जाता है , तो ISP ( Internet Service Provider ) उपयोगकर्ता को एक अस्थायी IP Address प्रदान करता है। प्रत्येक बार इंटरनेट से जुड़ने पर अलग - अलग IP Address प्रदान किया जाता है , जिसे Dynamic IP Address कहते हैं । यह इंटरनेट सुरक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होता है । ISDN , DSL , केबल मॉडेम या फाइबर ऑप्टिक में महिम का प्रयोग नहीं होता । अतः इनका प्रयोग कर इंटरनेट से जुड़ने पर एक स्थायी IP Address प्रदान किया जाता है जिसे Static IP Address कहते हैं ।
 
History Of IP Address (IP Address का इतिहास)
आजकल के  समय मे Internet की इस दुनिया मे दो IP Address का प्रयोग  किया जाता है |  IPv4 और IPv6 ,  IP Address का Original version 1983 में Arpanet द्वारा विकसित किया गया. IPv4 Address 32 बिट का होता है. जिसमें 4,297,967,296 एड्रेस स्पेस सीमित होता है. इसमें  कुछ एड्रेस विशेष कार्यों के लिए Private Network  (18 मिलियन और एक 1M= 10, 00,000) तथा Multicast Addressing (270 मिलियन एड्रेस) आरक्षित (Reserved) हैं |
IPv4 Dot-Decimal Notation के रूप में Present किया जाता है |  जिसमें 4 Numerical Number होते हैं, तथा प्रत्येक Range 0-255 तक बिंदुओ के रूप में Divide  होता है | प्रत्येक भाग  8 Bits (Octet) का बना होता है |
Internet Protocol के शुरुवाती दौर में नेटवर्क Number  संख्या अधिकतम आठ होती थी |  जिसके चलते सिर्फ 256 Network  की अनुमति (Permission ) होती थी |  परन्तु जल्द ही 1981 इस Problem  के Solution  के लिए  Advanced Network IPv4 तैयार किया गया जो Present  Time  में भी Use  किया जाता है |
लेकिन  Time  के साथ बढ़ते इंटरनेट Users के कारण उपलब्ध IP Address में कमी के कारण 1995 में IP Address में 132 उपयोग कर नया डिज़ाइन दिया गया जिस System  को इंटरनेट प्रोटोकॉल 6 के नाम से जाना गया | IPv6 तकनीक को वर्ष 2000 तक विभिन्न Testing Process  के दौर से गुजारा गया जब Commercial Production की शुरुआत हुई |
Present Time  में IPv4 तथा IPv6 दोनों का Advanced  Device  में उपयोग किया जाता है |  दोनों IP Versions में तकनीकी बदलाव के कारण IP Address Formation में विभिन्नता देखी जा सकती है| IPv4 तथा IPv6 के बीच IPv5 1979 के Experiment Internet Protocol Stream पर आधारित था|  हालांकि IPv5 को कभी भी लॉन्च नही किया गया |
IP Address Classes In Hindi
IP Address को कार्यों के आधार पर विभिन्न Classes में बांटा गया है:-
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